पंखों की नहीं
हौसलों की
जरुरत होती है
गर हो
हौसला बुलंद
तो आसमान भी
झुक जाता है
उम्मीद और हौसले की
कहानी बडी
निराली है
एक देता पंख
तो दूसरा देते स्वप्न
बिन सपने के
जीवन है अधूरा
पाने की उम्मीद मे
सपने करता पूरा
न पूछ इस बुलंदी पर
कैसे है पहुँचा
कभी कुछ तो
कभी बहुत कुछ
खोकर फिर है जकडा़
उम्मीद की सीढी़ पर
कदम जो बढा़या
एक नही दो नही
बहुतो ने भरमाया
चाटुकारिता की दुनिया में
अपने को समझाया
एक व्यक्तित्व उभरकर
फिर सामने आया
कहने को तो मेरे
कदम बहुत छोटे है
पर इन्हीं छोटे कदमों से
चलकर बुलंदी पर जाना है
मुश्किल है राह
ये भी पता है
पर सच जब हो साथ
तो डरने की क्या बात
काम में ईमानदारी
और सच्चाई का साथ
ये दोनो ही है
मेरे अहम हथियार
दूसरों को नहीं
खुद को समझाना है
अपना काम अपना इनाम
यही बस रह जाना है
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