धनी हमारी भूमि
विविधता में एकता की
धनी हमारी भूमि
जहाँ कण कण में समाया
जन जन का तंत्र है
वो विश्व का
सबसे बडा़ गणतंत्र है
निश्चल भाव से
खुद को ज्वलंत करे
भाव सभी के
मन को पहचाने
रुके बिना झुके बिना
नित नित सिर्फ आगे बढ़ना
यही तो गणतंत्र मेरा
भारत का जनतंत्र मेरा
छवि जो आसमान से ऊंचे
निश्छल सेवा मनोहर लागे
जोड़ने में रखता सदा समान
भारत का गणतंत्र महान
आदर करते सम्मान देते
सभी सही फैसले देते
मिटाता यह भेदभाव सभी
टकराव भी तकरार भी
नाज है हमें गणतंत्र पर
शान है हमारी जनतंत्र पर
No comments:
Post a Comment