Monday 12 September 2022

वो रात

वो रात

आज भी याद आती है वो रात

अजीब सी खामोशी थी 
उस रात को।।

हर तरफ पसरा 
सिर्फ सन्नाटा था उस रात को।।

बदहवाश सी हो गयी थी जैसे
धरातल उस रात की।।

कंपने लगी थी पूरी देह
उस खामोश रात में  ।।

अकेले थे फिर भी 
कोई तो साथ था उस रात को।।

हवा की खामोश लहरें 
डराने लगी थी उस रात को।।

अन्जाने साये के साथ
पल गुजारा था उस रात को।।

अनकही बातें , कह गयी
खामोशी की उस रात ने।।

बहुत से एहसास दिये है
उस घनेरी रात ने।।

अकेले सहने का संबल भी दिया है
उस स्याह काली रात ने।।

खामोशी में भी बहुत कुछ 
सीख दे गयी उस रात ने।।

अकेले रहने का हौसला 
समझा गयी उस रात ने।।

अब डर नहीं उस रात का
कितनी भी रातें आये
तैयार कर लड़ने को 
तत्पर है उस रात में ।।