चरणों में अभिनंदन है ।
ज्ञान की माला ,पिरोती है यह
सदाचार सिखलाती है ।
ऊंच नीच सब ,भेद भूलकर
सत्य मार्ग दिखलाती है ।
पीछे रहकर ,चरण कमल
यह चलना हमें सिखाती है ।
कोई रहे न , इनसे अछुता
ज्ञान दीप हरदम जलाती है ।
अंधकार में ,ज्यों हम डूबे
रोशनी यही दिखाती है ।
सत्य -अहिंसा , प्रेमभाव का
राह सदैव दर्शाती है ।
कपट -द्वेष , मिथ्या अभिमान को
छोड़ना हमें बताती है ।
बिन गुरु है , ज्ञान अधुरा
हमको ये समझाना है ।
गुरु के चरणों मे वंदन
आज हमें जतलाना है ।
गुरु ही है उद्धारक हमारा
यह बात सभी को बतलाना है ।
माता - पिता , ईश्वर से भी पहले
गुरु का मान बढा़ना है ।