Wednesday 13 September 2023

हिन्दी दिवस

हिन्दी 

भाषा हमारी हिन्दी , 
परिभाषा हमारी हिन्दी । 

मन की बात हमारी हिन्दी , 
शब्दों की जज्बात हमारी हिन्दी । 

मां की आँचल हमारी हिन्दी , 
पिता का रौब हमारी हिन्दी । 

संस्कार हमारी हिन्दी , 
संस्कृति हमारी हिन्दी । 

बच्चों की लाड़ हमारी हिन्दी , 
बच्चों की दुलार हमारी हिन्दी । 

पहचान हमारी हिन्दी , 
मेहमान हमारी हिन्दी । 

अरमान हमारी हिन्दी , 
सभ्यता हमारी हिन्दी । 

सुबह की अजान हमारी हिन्दी , 
शाम की झनकार हमारी हिन्दी । 

चिडि़यो की चहचहाहट हमारी हिन्दी , 
नदियों की बहती धारा हमारी हिन्दी । 

फूलों की खुशबू हमारी हिन्दी , 
मंदिर की घंटी हमारी हिन्दी । 

चंदन की खुशबू हमारी हिन्दी , 
माथे की बिंदियाँ हमारी हिन्दी । 

हम हिन्दी , हमारी भाषा हिन्दी , 
सारे राष्ट्र की अभिलाषा हिन्दी । । 

रुचि श्रीवास्तव 
शिक्षिका एनबीआईएस

Sunday 13 August 2023

हमारा तिरंगा

तिरंगा हमारा

तिरंगा है शान का , 
हमारे देश की पहचान का । 

आसमान में जो लहराता  , 
प्रेम असीम है बरसाता  । 

आजादी की ये निशानी है  , 
बात यही सब जानी है । 

बलिदानों की कहानी है  , 
अखंड राष्ट्र की जवानी है । 

तीन रंगों का प्यारा है  , 
सबको यही समझाया है । 

सबसे ऊपर केसरिया  , 
साहस , शक्ति को दर्शाया । 

बीच में दुधिया रंग है सफेद  , 
शांति और सच्चाई कहते अनेक । 

सबसे नीचे हरा है रंग  , 
धरती की शुभता के संग । 

मध्य में दिखे जो अशोक चक्र  , 
निरंतरता ये दर्शाये तब । 

चौबीस तीलियाँ बतलाये  , 
विकास , प्रगति सब दिखलाये  । 

ऊँचा रहे तिरंगा हमारा , 
शान से लहराये तिरंगा प्यारा । 

जय हिन्द
रुचि श्रीवास्तव 
शिक्षिका 
एनबीआईएस

Friday 21 July 2023

सावन और श्रृंगार

सावन की बौछार 
जैसे नारी का श्रृंगार 

बिन बारिश सावन अधूरा
बिन बारिश नारी मन चूरा

पाँवो लाली में माहुर की 
आसमान में उमड़ते बादल सी 

पाँवो पे जो पाजैब है बाजे
मेघो की घनघनाहट साजे

चुटकी बिछयों की लगी है प्यारी
जैसे चाँद की चमकती चांदनी न्यारी

कमर पर जो कमरधन फूले
सावन के वो इठलाते झूले

हाथों में मेंहदी है रचती
सावन में हरियाली सजती

चूडी़ कँगना खनकते खन खन
बारिश में मन महकते घन घन

बाजुबंद की सुंदर माया
सावन में इठलाती काया

कंठ में सोहे हार अति प्यारी
उफनते नदी की हिलोर मतवाली

कानों में झूमके है बसते
सावन में बारिश है रिझते

आँखो में काजल है संवारी
अमावस है चाँद पर भारी

माथे में बिंदिया जो सजते
सावन को जैसे हरियाली पूछते

बालो पर गजरा जो कहता
सावन में नदी इठलाते बहता

बिन बारिश सावन है अधूरा
बिन श्रृंगार नारी मन चूरा ।।


Wednesday 10 May 2023

अहसास

अहसास
प्यार का अहसास

खुद के लिए
जीने का अहसास

खुद को प्यार 
करने का अहसास

कली के फूल
बनने का अहसास

सौंधी मिट्टी के 
खुशबू का अहसास

गरजते बादलों के
तडकने का अहसास

खुद को आइने में
निहारने का अहसास

दिल की बात
लफ्जो से
कहने का अहसास

बीच सागर में
कश्ती के
जाने का अहसास

मंद मंद अपनी होंठो के
मुस्कुराहटों का अहसास

दिल में पनप रही
जज्बातो का अहसास

आँखों को उसके 
आने का अहसास

हाथों को उसके
छुअन का अहसास

नजरों को उसके
देखने का अहसास

बाँहों को उसके
घेरे का अहसास

जाती हुई लम्हो का
ठहरने का अहसास

जिंदगी में एक बार उसके 
आने का अहसास

खामोश निगाहों से उसके 
आने का अहसास

तन्हाइयों के 
बदलने का अहसास

मन में हो रही 
उलझनो के
सुलझने का अहसास

कितना प्यारा है
ये अहसास

ख्वाब में किसी के 
आने का अहसास
सिर्फ अहसास


Saturday 29 April 2023

मजदूर दिवस पर समर्पित

क्या है मजदूर
क्यूं है मजदूर
रहता है जमीं पर
फिर क्यूं है मजबूर

मेहनत में जीता है
मेहनत में मरता है 
फिर क्यूं पूरे जीवन
उम्मीदों को घिसता है

दुनिया की दुनियादारी में
कमियों को ढूंढता है
पिघले हुए अरमानों में
बात अपनी कहता है

होती क्या मजदूरी
कहती जो मजदूरी
आँखो में आँसू के
प्याले वो पीती है

नाम जो मजदूरी
संघर्षों की जुबानी है
हर कोई नहीं जानता 
इनकी ये कहानी है

वर्गो के गलियारों में
ऊंच नीच के भावों में
पहचान अपनी कमाने में 
मरता है मजदूर

खून पसीना जिसके
माटी में सना है
उन्मुक्त भाव जिसके
जहन में पला है

हाथों से अपना
भाग्य बनाते है
अपनी जुंबा अपनी
कहानी बताते है 

पहाड़ काट
राह जो बनाते है
दरिया को चीर
मंजिल तक पहुँचाते है

भरसक , बेखैब ,बेबाक
इनकी जिंदगानी है 
निश्छल निर्माणक 
यही इनकी कहानी है 



Thursday 6 April 2023

बातें

बहुत सी बातें है कहने को । पर किससे कहे । जिसे अपना माना , चाहा , जिसके लिए सब कुछ छोड़ दिया वही हमारा न हुआ ।जानती हूं किसी को कह नही सकते पर मन बहुत खराब है । बहुत चीख कर रोने का मन कर रहा पर न रो सकती और न कुछ कह सकती । शायद कोई मेरी बात समझे या न भी समझे । 
जिंदगी जिसके भरोसे सौंपा था वो तो मुझे नही समझ सका और अब लगता है जो चल रहा है शायद यही जिंदगी है । 
मेरा भी मन करता है खुश रहूं , खूब घूमू फिरु , दूसरो जैसे अपनी मर्जी का काम करु पर चाहते हुए भी मै ऐसा अपनी जिंदगी में कुछ नही कर पाती , शायद ये बात मुझे झँझोट रही है , मै जानती हूँ न ।
ये कोई शिकायत नहीं है क्योंकि ये जो जिंदगी मै जी रही हूँ उसे मैने खुद ही चूना है । काश मैने वो फैसले लेने थोडी़ समझदारी दिखाई होती तो आज मेरा कुछ और होता ।
हिम्मती नही हूँ मैं पर हिम्मत दिखाती हूँ ।कमजोर हूँ मैं पर सबके सामाने कमाजोरी छिपाती हूँ । जानती हूँ न दुनिया में ऊंगली उठाने वाले बहुत है पर हाथ थामने वाला कोई नहीं ।
कमी शायद मुझ में भी है , मैं कोई परफेक्ट नही , पर ये बात मै  जानती हू जिंदगी की गाडी़ अकेले चलाना कितना मुश्किल है ।
इन सब चीजों मे मेरी परिस्थियों में कोई साथ न रहा सिवाय ईश्वर के । मेरी पूरी आस्था है मेरे ईश्वर से , वो जो भी करेंगे मेरे लिए सदैव वो श्रेष्ठ ही होगा । आज अगर सब कुछ आकेले संभाल रही हूं तो सिर्फ ईश्वर के भरोसे । 
मेरा हमेशा साथ देना भगवान ।
लोगो से उपेक्षा करना मैने छोड़ दिया है । मतलब के सब साथी है । मतलब निकल जाने पर पहचानते ही नहीं । 
पता नही ये लिख भी क्यूँ रही हूँ । किसी से कह नही पाती इसलिए ...........



Tuesday 7 March 2023

व्यथा

लो फिर आ गया
इंतजार था शायद
कुछ कहने की
कुछ सुनाने की
नहीं नहीं
कुछ ऐसी बात नहीं
जिसे उपयुक्त समझा जाए
निर्झर झरने की प्रवृत्ति को
किसने समझा है
अथाह वेग की धारा को 
किसने जाना है
उन्मुक्त हुए आसमान में
पंछियो को किसने समझाया है
अविरल सी है 
व्यथा जीवन की
जिसे समझ न आया है
कोई क्या समझे
जब सभी ने किनारा कर दिया
उत्कंढा की ध्वनि में 
शब्दों के बाण
शायद विलुप्त है
ज्योत्सना की राह की डगर
अभी कठिन है
फिर भी उमंगो की लहर
सरहस दौड़ रही  है
मर्यादा की भूमि
अभी छनी नहीं है
भरभस मन में संवेदनाएँ जीवित है
तोडंना चाहती है जंजीरे
नापाक ये पाषाणो की
पर न जाने किस कौतुहल की
अभी रवानगी बाकी है
आंचल में समेटे 
अपनी व्यथा की कहानी
न जाने किस दिशा में 
वहीं बह जानी है
हृदय कठोरता का आहत करता
फिर भी मुख पर लाली है
भीतर मन में अगाध स्मरण
न जाने कैसे दिन रात है बितते
सांझ गयी दिन रात गयी
यही बाते यहाँ निराली है
कश्मकस की लकीरे में
जज्बात भी मिशाली  है
नही चाहिए बहुत कुछ
थोडे़ की कहानी है
समझ सके वेदना के स्वर को
वही एक निशानी है ।




Saturday 11 February 2023

पलाश के फूल

पलाश के फूल
अपनी ही सुंदरता लिए
खिलखिलाती मदमस्त
 दिखते ये 
पलाश के फूल

बसंत ऋतु के आते ही
बिखेरती अपनी 
मादकता का स्वर
दिखाते ये 
पलाश के फूल

मन को जैसे
मोह सा लिया
तन को जैसे
छूकर लिया 
नजरे टिकी जिसपर
ये पलाश के फूल

उन्मुक्त होता
गगन जिससे
शीतल होती
चांदनी जैसी
चमकते सितारों सी
चमक दिखाती
ये पलाश के फूल

रंगो की ये 
रानी होती
कभी भी न
कहकर कहती
अपनी सुंदरता सबको बताती
ये पलाश के फूल

पतझड़ के मौसम में
खुशबू बिखरती
एहसासों के पन्ने उमड़ती
अल्हड़ सी मदमस्त
ये पलाश के फूल 

Sunday 29 January 2023

उडा़न

उड़ने के लिए
पंखों की नहीं
हौसलों की
जरुरत होती है

गर हो 
हौसला बुलंद
तो आसमान भी
झुक जाता है

उम्मीद और हौसले की
कहानी बडी
निराली है
एक देता पंख
तो दूसरा देते स्वप्न

बिन सपने के
जीवन है अधूरा
पाने की उम्मीद मे
सपने करता पूरा

न पूछ इस बुलंदी पर
कैसे है पहुँचा
कभी कुछ तो
कभी बहुत कुछ
खोकर फिर है जकडा़

उम्मीद की सीढी़ पर
कदम जो बढा़या
एक नही दो नही
बहुतो ने भरमाया

चाटुकारिता की दुनिया में
अपने को समझाया
एक व्यक्तित्व उभरकर
फिर सामने आया

कहने को तो मेरे
कदम बहुत छोटे है
पर इन्हीं छोटे कदमों से
चलकर बुलंदी पर जाना है

मुश्किल है राह
ये भी पता है
पर सच जब हो साथ
तो डरने की क्या बात

काम में ईमानदारी
और सच्चाई का साथ
ये दोनो ही है
मेरे अहम हथियार

दूसरों को नहीं 
खुद को समझाना है
अपना काम अपना इनाम
यही बस रह जाना है








Wednesday 25 January 2023

गणतंत्र

संस्कृति और धरोहर की
धनी हमारी भूमि

विविधता में एकता की 
धनी हमारी भूमि

जहाँ कण कण में समाया 
जन जन का तंत्र है

वो विश्व का 
सबसे बडा़ गणतंत्र है

निश्चल भाव से
खुद को ज्वलंत करे

भाव सभी के
मन को पहचाने

रुके बिना झुके बिना
नित नित सिर्फ आगे बढ़ना

यही तो गणतंत्र मेरा
भारत का जनतंत्र मेरा

छवि जो आसमान से ऊंचे
निश्छल सेवा मनोहर लागे

जोड़ने में रखता सदा समान
भारत का गणतंत्र महान

आदर करते सम्मान देते
सभी सही फैसले देते

मिटाता यह भेदभाव सभी
टकराव भी तकरार भी

नाज है हमें गणतंत्र पर
शान है हमारी जनतंत्र पर