Saturday 29 April 2023

मजदूर दिवस पर समर्पित

क्या है मजदूर
क्यूं है मजदूर
रहता है जमीं पर
फिर क्यूं है मजबूर

मेहनत में जीता है
मेहनत में मरता है 
फिर क्यूं पूरे जीवन
उम्मीदों को घिसता है

दुनिया की दुनियादारी में
कमियों को ढूंढता है
पिघले हुए अरमानों में
बात अपनी कहता है

होती क्या मजदूरी
कहती जो मजदूरी
आँखो में आँसू के
प्याले वो पीती है

नाम जो मजदूरी
संघर्षों की जुबानी है
हर कोई नहीं जानता 
इनकी ये कहानी है

वर्गो के गलियारों में
ऊंच नीच के भावों में
पहचान अपनी कमाने में 
मरता है मजदूर

खून पसीना जिसके
माटी में सना है
उन्मुक्त भाव जिसके
जहन में पला है

हाथों से अपना
भाग्य बनाते है
अपनी जुंबा अपनी
कहानी बताते है 

पहाड़ काट
राह जो बनाते है
दरिया को चीर
मंजिल तक पहुँचाते है

भरसक , बेखैब ,बेबाक
इनकी जिंदगानी है 
निश्छल निर्माणक 
यही इनकी कहानी है 



Thursday 6 April 2023

बातें

बहुत सी बातें है कहने को । पर किससे कहे । जिसे अपना माना , चाहा , जिसके लिए सब कुछ छोड़ दिया वही हमारा न हुआ ।जानती हूं किसी को कह नही सकते पर मन बहुत खराब है । बहुत चीख कर रोने का मन कर रहा पर न रो सकती और न कुछ कह सकती । शायद कोई मेरी बात समझे या न भी समझे । 
जिंदगी जिसके भरोसे सौंपा था वो तो मुझे नही समझ सका और अब लगता है जो चल रहा है शायद यही जिंदगी है । 
मेरा भी मन करता है खुश रहूं , खूब घूमू फिरु , दूसरो जैसे अपनी मर्जी का काम करु पर चाहते हुए भी मै ऐसा अपनी जिंदगी में कुछ नही कर पाती , शायद ये बात मुझे झँझोट रही है , मै जानती हूँ न ।
ये कोई शिकायत नहीं है क्योंकि ये जो जिंदगी मै जी रही हूँ उसे मैने खुद ही चूना है । काश मैने वो फैसले लेने थोडी़ समझदारी दिखाई होती तो आज मेरा कुछ और होता ।
हिम्मती नही हूँ मैं पर हिम्मत दिखाती हूँ ।कमजोर हूँ मैं पर सबके सामाने कमाजोरी छिपाती हूँ । जानती हूँ न दुनिया में ऊंगली उठाने वाले बहुत है पर हाथ थामने वाला कोई नहीं ।
कमी शायद मुझ में भी है , मैं कोई परफेक्ट नही , पर ये बात मै  जानती हू जिंदगी की गाडी़ अकेले चलाना कितना मुश्किल है ।
इन सब चीजों मे मेरी परिस्थियों में कोई साथ न रहा सिवाय ईश्वर के । मेरी पूरी आस्था है मेरे ईश्वर से , वो जो भी करेंगे मेरे लिए सदैव वो श्रेष्ठ ही होगा । आज अगर सब कुछ आकेले संभाल रही हूं तो सिर्फ ईश्वर के भरोसे । 
मेरा हमेशा साथ देना भगवान ।
लोगो से उपेक्षा करना मैने छोड़ दिया है । मतलब के सब साथी है । मतलब निकल जाने पर पहचानते ही नहीं । 
पता नही ये लिख भी क्यूँ रही हूँ । किसी से कह नही पाती इसलिए ...........