पलाश के फूल
अपनी ही सुंदरता लिए
खिलखिलाती मदमस्त
दिखते ये
पलाश के फूल
बसंत ऋतु के आते ही
बिखेरती अपनी
मादकता का स्वर
दिखाते ये
पलाश के फूल
मन को जैसे
मोह सा लिया
तन को जैसे
छूकर लिया
नजरे टिकी जिसपर
ये पलाश के फूल
उन्मुक्त होता
गगन जिससे
शीतल होती
चांदनी जैसी
चमकते सितारों सी
चमक दिखाती
ये पलाश के फूल
रंगो की ये
रानी होती
कभी भी न
कहकर कहती
अपनी सुंदरता सबको बताती
ये पलाश के फूल
पतझड़ के मौसम में
खुशबू बिखरती
एहसासों के पन्ने उमड़ती
अल्हड़ सी मदमस्त
ये पलाश के फूल