Monday 8 March 2021

महिला दिवस

सुबह से शाम तक
समय का पता ही नहीं चलता ।

दिन कब बीतता है
वक्त कब गुजरता है
कुछ पता ही नहीं चलता ।

खुद के लिए जैसे
कुछ अहसास ही नहीं ।

फिर भी न जाने
कुछ अधूरेपन में ही
गुजरती है जिंदगी ।

कोई ख्वाहिश करना जैसे
एक दर्द सा लगता है ।

अपने लिए समय
जैसे सपना सा है ।

बस उम्मीद लगाए रहते है
कि कोई समझे
पर वो भी लगता है
सिर्फ सपना ही है ।

जीना ही है
और न जाने कब तक ।

निराशा नही है
पर शायद अब
आशा ही नहीं है ।
                          रुचि