Saturday 9 March 2024

नारी


सुबह के प्रकाश की सुनहरी 
किरण है नारी । 

चिडि़यो की चहचहाती मधुर 
धुन है नारी । 

मंदिर के झांझ की खनकती
झनकार है नारी । 

भोर में खिलते पुष्प की
कली है नारी । 

निश्चल बहती धारा की
प्रवाह है नारी । 

नदियों की इठलाती वेग की
धार है नारी । 

खेतों के लहलहाते फसल की
बालियाँ है नारी । 

बच्चों के होंठों की कोमल  
मुस्कान है नारी । 

इंद्रधनुषी बहुरंगी रंगों की 
छटा है नारी । 

मोर के कलगी की सतरंगी रंगों की
रंग है नारी । 

इत्र की खुशबू की सौंधी
महक है नारी । 

चित्रकार के रंगों में लिपटी
चित्रकारी है नारी । 

कथाकार के कहानी को गढती हरदम
कहानी है नारी । 

भोर के बाग की मधुर 
ध्वनि है नारी । 

वीणा की मधुर तान की
राग है नारी । 

रात्रि के चांद की मनोहारी
चांदनी है नारी । 

सृष्टि की रचना को हरदम
आगे बढा़ती है नारी । 

रुचि