ये जो ख्वाहिश होती है न,
बहुत ही खूदगर्ज होती है ।
कभी मन को बहला देती है ,
तो कभी मन को समझा देतीं हैं ।
बस धोखा देना जानती है ।
दिलासा देतीं है ,और कुछ नहीं ।
फिर भी लगे है सब
नई ख्वाहिश के इंतजार में
और ये ख्वाहिश है
जो कभी खत्म ही नहीं होतीं ।
रुचि
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