एक लाइन हमेशा जहन में आती है, और मुझे अच्छा भी लगता है कि लोग आपके पीछे आपकी बुराई करते है ।मैं इसको काफी पाजीटीव लेती हूं ।
मुझे अच्छा लगता है , क्योंकि शायद लोगों की औकात नहीं होती सामने कहने की । जो पीछे कहते है वो तो पीछे ही रहेंगे ।फिर ऐसे धोखे बाजो की पहचान कैसे की जाए ।
दुनिया में हर प्रकार के इंसान है और हर कोई न तो दोस्त है न ही दुश्मन ।फिर सभी से दुश्मनी कैसी और दोस्ती भी कैसी ?
दुनिया में अकेले आए है और अकेले जायेंगे भी ।फिर बीच के समय को कैसे समझाया जाय । ऐसे में हर किसी को शक से देखना भी गलत है ।
बहुतों को देखा है नकली मुस्कान लिये ।न जाने कैसे कर पाते है।
दुनिया में शायद सीधे बात कहने की परंपरा खत्म हो चुकी है ।दिखावा ही शायद पसंद है ।इसका ही बोलबाला है ।
खैर छोडिये ! आदतन लोग कभी नहीं सुधर सकतें ।
बस जियो और जिने दो ।
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