Tuesday 5 July 2022

जिंदगी

मुझे पता नहीं लिखावट कैसी होनी चाहिए और क्या पता जो लिख रहीं हूं उसे कोई पढ़ भी पायेगा । फिर भी लिखती हूँ अपने मन की बात । शायद यही वो जगह है जहाँ मैं अपनी बातें कह पाती हूँ शायद इसलिए भी कि मुझे पता है कोई जवाब मुझे नहीं मिलने वाला । सोचती हूँ कभी सोशल मिडीया में लिख दूँ पर मुझे मालूम है अपने जज्बात से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता । काश कोई होता जिंदगी में जिसे अपने मन की बात कहती कि मुझे आज क्या महसूस हुआ , मैने क्या सोचा , मैं क्या करना चाहती हूं शायद जवाब भी मिल जाता अगर कोई आपकी जिंदगी में होता तो ।
ऐसा नहीं है कि मैं अकेले हूं मेरा अपना परिवार है फिर भी न जाने क्यूँ जिंदगी में कुछ कमी खलती रहती है । एक खालीपन सा है । लगता है कोई बहुत पीछे छूट गया है , इसका मतलब ये नहीं कि मैं निराशावादी हूँ बिलकुल नहीं । 
पर न जाने क्यूँ अधूरा सा है ।
हमेशा सोचती हूँ कि ऐसा क्या किया है मैने जो आज यह सोच है मेरी । जवाब आता ही नहीं । अपने आप शायद इसलिए व्यस्त रखती हूँ कि सवाल मन में न उठे फिर भी कहते है न मन तो चंचल है ये उसे ही याद करता है जिसे हम भूलना चाहते है । 
बहुत सारी बाते है कहने को कि कोई समझे मुझे । अगर लगे कि मैं कहीं गलत हूँ तो मुझे टोके समझाये पर कोई तो अपना हो ।
औरतो के जीवन में ये एक बडी विडम्बना है कि शादी के बाद वो अपना जीवन भूल जाती है । पता नहीं किसको दिखाना है । एक मां , पत्नी , बहू सारे रिश्तों में इस कदर उलझ सी जाती है और भूल जाती है उस सख्स को जो वो खूद होती है । 
मैने भी शायद यही गलती कर दी और भूल गयी कि मैं कौन हूँ । आज मुझे पता है वक्त वापिस नहीं आयेगा जिससे मैं अपना बीता पल बदल सकूँ पर एक टिस है कि क्यूँ 
क्यूँ मैं अपने इस जीवन में खुश नहीं ।
लोग कहते है आपके विचार और आप दोनों अलग है । पर लोगों को क्या पता मैं हँसती हूँ ताकि मेरे दर्द दूसरों को न दिखे । तकलीफ है पर मैं नही बताती क्योकि मैं जानती हूँ लोगो को आपकी तकलीफ से कोई फर्क नहीं पडता । शायद इसलिए व्यक्तित्व अलग दिखता है मेरा ।
कहने को तो बहुत सी बाते है फिर शायद आया मैं तो वही खडी़ हूँ 
न जाने ये सफर अब कैसे कटेगा

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