Tuesday 12 July 2022

गुरु

🙏🏻  गुरु पूर्णिमा 🙏🏻
             
ज्ञान दे वो गुरु 
पहचान दे वो गुरु 

जीवन के राह में 
संस्कार दे वो गुरु

मुश्किल की दीवार को
ढाह दे वो गुरु 

अटके मझदार को
पतवार दे वो गुरु 

नौका को तट पर
ठहराव दे वो गुरु 

आती हुई परेशानियों को
जान ले वो गुरु 

मुश्किलो को देख कर
संभाल ले वो गुरु 

भटके हुए मुसाफिर को
सही दिशा दे वो गुरु 

गलतियों को जान कर
सबक जताये वो गुरु

छोड़कर अपने यशगान जो
दूसरों को आगे बढा़ये वो गुरु 

पैरों की धूलि को
माथे पर लगाये वो गुरु 

फूलों के गुच्छों में 
चंदन सी महक दे वो गुरु 

खुद दीपक  बन जलकर 
रोशनी दे वो गुरु 

नमन है ऐसे गुरुओं का
जिनका सानिध्य हमने पाया

💐 गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं 💐

रुचि

Tuesday 5 July 2022

जिंदगी

मुझे पता नहीं लिखावट कैसी होनी चाहिए और क्या पता जो लिख रहीं हूं उसे कोई पढ़ भी पायेगा । फिर भी लिखती हूँ अपने मन की बात । शायद यही वो जगह है जहाँ मैं अपनी बातें कह पाती हूँ शायद इसलिए भी कि मुझे पता है कोई जवाब मुझे नहीं मिलने वाला । सोचती हूँ कभी सोशल मिडीया में लिख दूँ पर मुझे मालूम है अपने जज्बात से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता । काश कोई होता जिंदगी में जिसे अपने मन की बात कहती कि मुझे आज क्या महसूस हुआ , मैने क्या सोचा , मैं क्या करना चाहती हूं शायद जवाब भी मिल जाता अगर कोई आपकी जिंदगी में होता तो ।
ऐसा नहीं है कि मैं अकेले हूं मेरा अपना परिवार है फिर भी न जाने क्यूँ जिंदगी में कुछ कमी खलती रहती है । एक खालीपन सा है । लगता है कोई बहुत पीछे छूट गया है , इसका मतलब ये नहीं कि मैं निराशावादी हूँ बिलकुल नहीं । 
पर न जाने क्यूँ अधूरा सा है ।
हमेशा सोचती हूँ कि ऐसा क्या किया है मैने जो आज यह सोच है मेरी । जवाब आता ही नहीं । अपने आप शायद इसलिए व्यस्त रखती हूँ कि सवाल मन में न उठे फिर भी कहते है न मन तो चंचल है ये उसे ही याद करता है जिसे हम भूलना चाहते है । 
बहुत सारी बाते है कहने को कि कोई समझे मुझे । अगर लगे कि मैं कहीं गलत हूँ तो मुझे टोके समझाये पर कोई तो अपना हो ।
औरतो के जीवन में ये एक बडी विडम्बना है कि शादी के बाद वो अपना जीवन भूल जाती है । पता नहीं किसको दिखाना है । एक मां , पत्नी , बहू सारे रिश्तों में इस कदर उलझ सी जाती है और भूल जाती है उस सख्स को जो वो खूद होती है । 
मैने भी शायद यही गलती कर दी और भूल गयी कि मैं कौन हूँ । आज मुझे पता है वक्त वापिस नहीं आयेगा जिससे मैं अपना बीता पल बदल सकूँ पर एक टिस है कि क्यूँ 
क्यूँ मैं अपने इस जीवन में खुश नहीं ।
लोग कहते है आपके विचार और आप दोनों अलग है । पर लोगों को क्या पता मैं हँसती हूँ ताकि मेरे दर्द दूसरों को न दिखे । तकलीफ है पर मैं नही बताती क्योकि मैं जानती हूँ लोगो को आपकी तकलीफ से कोई फर्क नहीं पडता । शायद इसलिए व्यक्तित्व अलग दिखता है मेरा ।
कहने को तो बहुत सी बाते है फिर शायद आया मैं तो वही खडी़ हूँ 
न जाने ये सफर अब कैसे कटेगा