Saturday 29 April 2023

मजदूर दिवस पर समर्पित

क्या है मजदूर
क्यूं है मजदूर
रहता है जमीं पर
फिर क्यूं है मजबूर

मेहनत में जीता है
मेहनत में मरता है 
फिर क्यूं पूरे जीवन
उम्मीदों को घिसता है

दुनिया की दुनियादारी में
कमियों को ढूंढता है
पिघले हुए अरमानों में
बात अपनी कहता है

होती क्या मजदूरी
कहती जो मजदूरी
आँखो में आँसू के
प्याले वो पीती है

नाम जो मजदूरी
संघर्षों की जुबानी है
हर कोई नहीं जानता 
इनकी ये कहानी है

वर्गो के गलियारों में
ऊंच नीच के भावों में
पहचान अपनी कमाने में 
मरता है मजदूर

खून पसीना जिसके
माटी में सना है
उन्मुक्त भाव जिसके
जहन में पला है

हाथों से अपना
भाग्य बनाते है
अपनी जुंबा अपनी
कहानी बताते है 

पहाड़ काट
राह जो बनाते है
दरिया को चीर
मंजिल तक पहुँचाते है

भरसक , बेखैब ,बेबाक
इनकी जिंदगानी है 
निश्छल निर्माणक 
यही इनकी कहानी है 



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