सुबह के प्रकाश की सुनहरी
किरण है नारी ।
चिडि़यो की चहचहाती मधुर
धुन है नारी ।
मंदिर के झांझ की खनकती
झनकार है नारी ।
भोर में खिलते पुष्प की
कली है नारी ।
निश्चल बहती धारा की
प्रवाह है नारी ।
नदियों की इठलाती वेग की
धार है नारी ।
खेतों के लहलहाते फसल की
बालियाँ है नारी ।
बच्चों के होंठों की कोमल
मुस्कान है नारी ।
इंद्रधनुषी बहुरंगी रंगों की
छटा है नारी ।
मोर के कलगी की सतरंगी रंगों की
रंग है नारी ।
इत्र की खुशबू की सौंधी
महक है नारी ।
चित्रकार के रंगों में लिपटी
चित्रकारी है नारी ।
कथाकार के कहानी को गढती हरदम
कहानी है नारी ।
भोर के बाग की मधुर
ध्वनि है नारी ।
वीणा की मधुर तान की
राग है नारी ।
रात्रि के चांद की मनोहारी
चांदनी है नारी ।
सृष्टि की रचना को हरदम
आगे बढा़ती है नारी ।
रुचि
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