अहसास, मेरे मन के
Monday 22 February 2021
दास्तान
टूट सी गयी हूं,
पर बिखरुंगी नहीं।
मोम सी सहमी हूं,
पर पिघलूंगी नहीं।
जल सी गयी हूं,
पर राख बनूंगी नहीं।
नीर सी हो गयी हूं,
पर बहूंगी नहीं।
मन में कई तुफान है,
पर फैलूंगी नहीं।
एकांत में जी रही हूं,
पर मौन रहूंगी नहीं।
न जाने अंजाम क्या है,
पर पीछे हटूंगी नहीं।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment